आँधियों से जो लड़े हैं ,
हां, वही तिनके बड़े हैं !
तीर्थ हैं वे पाँव जिनमे,
शूल भीतर तक गडे हैं !
सिर्फ़ हे -इतनी कहानी ,
उम्र की सूली चढ़हे हैं !
ग़मों का सोना मिला हैं ,
ग़ज़ल के गहने गडे हैं !
फकत ,इक तब्बसुम की खातिर
कितने ज़हर पीने पड़े हैं !
जहाँ नम पलकों ने छोड़ा
हम वहीँ अब तक खड़े हैं !
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Wednesday, November 12, 2008
ग़ज़ल १
ना ही कतरा हूँ ,ना ही समंदर हूँ,
एक लम्हा हूँ,ख़ुद के अन्दर हूँ !
जिसकी दीवार पर ठुकी कीलें ,
कच्ची माटी का, एक वोः घर हूँ !
झिलमिला के गहरे डूब गया ,
भीगी पलकों का ,एक पल भर हूँ !
जलते जंगल में ,घिर के टूट गया ,
इक मासूम परिंदे का अधजला 'पर' हूँ !
एक सैलाब ने कहीं का ना रखा ,
अब तो यादों का खँडहर हूँ !
ये रफतारें कहाँ ले जाएँगी ,
सदी की आँख में ,ठहरा हुआ डर हूँ !
जानें क्या से क्या हुआ होता ,
दुआ की गोद में रखा सर हूँ !
एक लम्हा हूँ,ख़ुद के अन्दर हूँ !
जिसकी दीवार पर ठुकी कीलें ,
कच्ची माटी का, एक वोः घर हूँ !
झिलमिला के गहरे डूब गया ,
भीगी पलकों का ,एक पल भर हूँ !
जलते जंगल में ,घिर के टूट गया ,
इक मासूम परिंदे का अधजला 'पर' हूँ !
एक सैलाब ने कहीं का ना रखा ,
अब तो यादों का खँडहर हूँ !
ये रफतारें कहाँ ले जाएँगी ,
सदी की आँख में ,ठहरा हुआ डर हूँ !
जानें क्या से क्या हुआ होता ,
दुआ की गोद में रखा सर हूँ !
प्रेम सक्सेना की पॉँच गज़ले
साहित्य जगत में एक पुराना एवं जाना पहचाना नाम प्रेम सक्सेना !
अपन्स शबाब पर अनेखों कवि सम्ममेलनों एवं मुशायरों में शिरकत !
तकनीक एवं अभियांत्रिकीय वातावरण भी अपनी रचना धर्मिता की नजाकत को बरक़रार रखना प्रेम सक्सेना के बूते की ही बात हे
देश के गणमान्य कवियों के साथ साथ प्रदेश के एवं भोपाल के दिग्गज कवियों एवं शायरों के साथ कविता पाठ !
लगभग ७० वर्षों की शारीरिक उम्र के बावजूद आज भी उतने ही तरो ताज़ा और उतना ही तरो ताज़ा लेखन भी !
मौसम ,प्रकृति और आम आदमी की बात कहती हुई उनकी गज़लें कंही गहराई से सूफियाना अंदाज़ भी बयां होती हैं !
यहाँ प्रस्तुत हैं उनकी चुनिन्दा गज़लें .......
अपन्स शबाब पर अनेखों कवि सम्ममेलनों एवं मुशायरों में शिरकत !
तकनीक एवं अभियांत्रिकीय वातावरण भी अपनी रचना धर्मिता की नजाकत को बरक़रार रखना प्रेम सक्सेना के बूते की ही बात हे
देश के गणमान्य कवियों के साथ साथ प्रदेश के एवं भोपाल के दिग्गज कवियों एवं शायरों के साथ कविता पाठ !
लगभग ७० वर्षों की शारीरिक उम्र के बावजूद आज भी उतने ही तरो ताज़ा और उतना ही तरो ताज़ा लेखन भी !
मौसम ,प्रकृति और आम आदमी की बात कहती हुई उनकी गज़लें कंही गहराई से सूफियाना अंदाज़ भी बयां होती हैं !
यहाँ प्रस्तुत हैं उनकी चुनिन्दा गज़लें .......
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